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दिल्ली की बदनाम गली का दर्द

आवाज़
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“दिल्ली की बदनाम गली का दर्द”
जिस दिल्ली पर मुझे गर्व है उसका एक सच है-ज़ी.बी.रोड़I इसे आप बदनाम गली कहे या चुप्पी साध ले लेकिन यह सच तो सच ही हैI
एक तरफ बड़े-बड़े मॉल है, फ्लाईओवर है, पांच सितारा होटल है, दूसरी तरफ है एक तंग गली जिसे हम बदनाम गली भी कहते हैI
आज हम ज़ी.ड़ी.पी. पर कितने ही दावे कर ले, लेकिन एक सच बसता है चान्दनी चौक से महज़ कुछ कदम की दूरी पर, जिसका लोग जिक्र तक नही करना चाहतेI
देश की राजधानी दिल्ली की चकाचौध से दूर, जहॉ हर रात सौदा होता है एक मजबूरी का, एक अबला स्त्री का और हम लोग अपनी ऑखे मुंद लेते हैI उसके बारे मे बात करने से भी कतराते है,आखिर क्यो?
क्या उसका यह कसूर है कि वह अपनी आवाज़ नही उठा सकती ,वह अबला हैI
लेकिन यह क्यो भूल जाते है वह एक स्त्री है,एक मॉ है,किसी की बेटी हैI
उसे भी बडे नाज़ो से पाला गया होगा I
लेकिन एक मज़बूरी ने उसे बीच बाज़ार लाकर खडा कर दियाI हम उसकी मजबूरी का फायदा उठाते हैI उसके जिस्म का सौदा करते हैऔर सुबह होते ही शराफत की बात करते है और उसके दर्द का मज़ाक बनाते है I

क्या हमारी आत्मा मर चुकी है!
वह भी भारत की मॉ है, बेटी है, बहू है, बहन है!
125 करोड़ भारतीयो मे वह भी शूमार है!
उसके हक की लडाई कौन लडेगा?
क्या हमारा लोकतंत्र मर चुका हैं ?
आखिर वह अबला किस द्वार पर जाए,अपनी गुहार कहा लगाए?
लोकतंत्र के तीनो स्तम्भ चुप क्यो है?
ये खामोशी क्यो है?
किसी ने ठीक ही कहा है:
“ ये खामोश मिज़ाज़ी तूझे जीने नही देगी,
इस जग मे जीना है तो कोहराम मचा दे!”

लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाने वाला मीडिया मौन क्यो है?
किसी को कुछ ना कुछ तो करना ही होगा
नही तो उसकी आबरु लुटती रहेगी
और हम चुपचाप देखते रह जाएगेI
हर रात उसके मुजरे पर हज़ारो लुटाने वाले लोग यह क्यो भूल जाते है वह भी एक स्त्री है,उसकी भी कोइ मजबूरी रही होगीIहमारा संविधान उसके हको की रक्षा क्यो नही करता?
उसके भी मौलिक अधिकार हैI
यह कहानी दिल्ली की ही नही , देश के कई हिस्सो की हैI
आखिर कब तक इनकी ज़िंदगी 4*2 के कमरो तक सिमटी रहेगी?
यह संसद उनके हक की बात क्यो नही करता I
क्या उनका यह कसूर है की वह किसी का वोट बैंक
नही है ?
अगर नही भी है फिर भी इस देश के नागरिक तो है
“ परिंदे आसमॉ मे भी जमी की ज़द मे रहते हैं,
उन्हे हमसे क्या मतलब वो जो संसद मे रह्ते हैं ”

1. क्या इसी तरह जिस्म के इस बाज़ार मे किसी मज़बूरी के चलते महिलाए अपने सम्मान को खोती रहेगी?

2. क्या हमारी सरकार इस कडवे सच की तरफ कोई ध्यान देगी?

3. क्या इस बाज़ार को कानूनी रूप दिया जाना चाहिए या नही! यह भी एक विवाद का विषय है?

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